हनुमान जी की आरती
आरती कीजै हनुमान लला की !
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ||
आरती ...
जाके बल से गिरिवर कांपै !
रोग दोष जाके निकट न झांपै || आरती...
अंजनी पुत्र महाबल दाई !
संतान के प्रभु सदा सहाई ||
आरती...
दे बीरा रघुनाथ पठाए !
लंका जारि सिय सुधि लाए ||
आरती...
लंका सो कोट समुद्र सी खायी
!
जात पवन सुत बार ना लायी ||आरती...
लंका जारी असुर संहारे !
सिया रामजी के काज संवारे ||
आरती...
लक्ष्मण मूर्छित परे सकारे !
आनि संजीवन प्राण उबारे ||
आरती...
पैठी पताल तोरी जमकारे !
अहिरावन की भुजा उखारे ||
आरती...
बाएं भुजा असुरदल मारे !
दाहिने भुजा संतजन तारे ||
आरती...
सुर- नर - मुनि आरती उतारे
!
जय जय जय हनुमान उचारे ||
आरती...
कंचन थार कपूर लौ छाई !
आरती करत अंजना माई || आरती...
जो हनुमान जी की आरती गावै !
बंसी बैकुंठ परम पद पावै ||
आरती...
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