Monday, 4 May 2015

आरती श्री शिव जी की(Shiv Aarti)

                                                        


                         
        
                          आरती शिव जी की 

   
जय शिव ओम्कारा, भज शिव ओम्कारा ! 
 ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्द्धंगी धारा !
 एकानन चतुरानन पंचानन राजे !
 हंसानन गरुरासन वृषवाहन सजे ! जय !
दो भुज चार चतुर्भु दसभुज अति सोहे ! 
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे ! जय !
  अक्षमाला बनमाला मुंडमाला धारी ! 
चन्दन मृगमद सोहे, भोले शिव धारी !जय ! 
श्र्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ! 
सनकादिक  ब्रह्मादिक भूतादिक संगे ! जय !
कर में श्रेष्ठ कमंडल चक्र त्रिशूल धारी !
 सुखकारी दुखारी जग्पालन कारी ! जय !
ब्रह्मा वुष्णु सदा शिव जानत अविवेका !
 प्रणवाक्षर में सोभित ये तीनो एका ! जय!
त्रिभुवन श्वामी जी की आरती जो कोई नर गावे |
 कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे| जय|   

No comments:

Post a Comment