Thursday, 7 May 2015

ॐ जय जगदीश हरे(Om Jai Jagdish Hare)

       

आरती जगदीश जी की


ॐ जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे |
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे |
                   जो ध्यावे फल पावे दुःख बिन से मन का |
                   सुख सम्पति घर आवे कष्ट मिटे तन का ||
माता पिता तुम मेरे शरण गहूँ किसीकी |
तुम बिन और न दूजा आस करू जिसकी ||
                  तुम हो पूर्ण परमात्मा तुम अंतर्यामी |
                 पार ब्रह्म परमेश्वर तुम सब के स्वामी ||
तुम करुना के सागर तुम पालन कर्ता |
मैं मूर्ख खल कामी कृपा करो भर्ता ||
                तुम हो एक अगोचर सबके प्राणपति |
               किस विधि मिलूं दयामय तुमको मैं कुमति||
दिनबन्धु दुःख हरता तुम ठाकुर मेरे |
अपने हाथ उठाओ द्वार परा मैं तेरे ||
               विषय विकार मिटाओ पाप हरो देवा |
              श्रधा भक्ति बढाओ संतान की सेवा ||

     ॐ जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे |

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