Thursday, 7 May 2015

आरती गायत्री जी की(Gaytri Aarti)

आरती श्री गायत्रीजी की

 आरती श्री गायत्रीजी की |
 ज्ञान दीप और श्रधा की बाती |
 सो भक्ति ही पूर्ति कर जहं घी की ||
                   मानव की सूचि थाल के ऊपर |
                   देवी की ज्योती जागें जहं निकी ||
शुद्ध मनोरथ के जहं घंटा |
बाजें करैं आसहु ही की ||
              जाके समक्ष हमें तिहुं लोकै |
              गद्दी मिले तबहीं लगे फीकी ||
आरती प्रेम सों नेम सो करि |
ध्यावहिं मूरति ब्रह्मा लली की ||
              संकट आवें न पास कबौं तिन्हैं |
             सम्पदा और सुख की बनें लिकी ||


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