आरती श्री विश्वकर्मा जी की
प्रभु श्री
विश्वकर्मा घर आवो प्रभु
विश्वकर्मा |
सुदामा की विनय सुनी,
और कंचन महल बनाये |
सकल पदारथ देकर प्रभु जी दुखियों के दुःख टारे ||
विनय
करी भगवन श्री कृष्ण ने द्वारिकापुरी बनाओ |
ग्वाल
बालों की रक्षा की प्रभु की
लाज बचायो ||
रामचन्द्र
ने पूजन की तब सेतु बांध रचि डारो
सब
सेना को पार कियाप्रभु लंका विजय करावो ||
श्री
कृष्ण के विजय सुनो प्रभु आके दर्शन दिखावो |
शिल्प
विद्या का दो प्रकाश मेरा जीवन सफल बनावो ||
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