आरती श्री गंगाजी की
ओउम् जय जय जय गंगे श्री गंगे ||
त्रिलोकी के तारन
कष्ट निवारण,
भक्त उबारन आई गंगे
||
आश्चर्य महिमा वेद सुनावे ,
नर मुनि ज्ञानी ध्यान
लगावे ||
ओउम् जय ......
जो तेरी शरणागति आवै ,
जीवन मुक्ति इच्छाफल
पावै ||
पाप हरण भक्ति की
दाता,
काटे दर्शन की त्रासा
||
ओउम् जय .......
बसि बैकुण्ठ अमर पद
पावे ||
ओउम् जय .......
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